सोने- चांदी के भाव पिछले सप्ताह जैक्सन होल सिम्पोसियम के होने के कारण एक सीमित दायरे में ही रहे और कीमती धातुओं में कारोबार का दायरा सकारात्मक रहा। अमेरिका की 10 साल बांड उपज बढ़कर 1.34 प्रतिशत हो गई है।
डॉलर की तुलना में रूपया पिछले सप्ताह में 0.37 प्रतिशत मजबूत हुआ है जबकि डॉलर इंडेक्स जो सोने की विपरीत दिशा में चलता है, 0.82 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। अमेरिका से जारी बेरोज़गारी के दावे और प्रिलिम जीडीपी के आंकड़े अनुमान से कमजोर दर्ज किये गए।
दूसरी ओर, अफगानिस्तान में बदतर होती परिस्थिति के कारण निवेशकों का भरोसा सोने में बना हुआ है। कच्चे तेल के भाव में 300 रुपये प्रति बैरल की तेज़ी पिछले सप्ताह में देखि गई है जिससे सोने के भाव को सपोर्ट मिला है।
शुक्रवार को हुए जैक्सन होल सिम्पोजियम के भाषण मे पॉवेल के मुताबिक इस बात पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि मूलभूत अवस्फीति के कारण अचानक बदल गए हैं, और मुद्रास्फीति लगातार घटने की संभावना है।
श्रम बाजार में पर्याप्त सुस्ती और महामारी जारी रहने के साथ, गलत समय पर नीतिगत कदम विशेष रूप से हानिकारक हो सकता है। संपत्ति खरीद कार्यक्रम इस साल के अंत तक घटाया जा सकता है लेकिन सीधे तोर पर ब्याज दर वृद्धि के संकेत नहीं है।
फेड प्रमुख जेरोम पॉवेल के बयां के बाद कीमती धातुओं में निचले स्तरों से उछाल देखा गया। और अक्टूबर वायदा सोना निचले स्तरों से 400 रुपये मजबूत होकर 47200 रुपये प्रति दस ग्राम पर रहा।
तकनिकी विश्लेषण
इस सप्ताह कीमती धातुओं में तेज़ी रह सकती है। सोने में 46700 रुपये पर सपोर्ट है और 48000 रुपये पर प्रतिरोध है। दिसंबर वायदा चांदी में 62500 रुपये पर सपोर्ट और 64500 रुपये पर प्रतिरोध है।