The US dollar plays a significant role in shaping the global economy, and its influence on the Indian economy is no exception. The strength or weakness of the dollar can have a wide range of effects on various sectors in India, including trade, investment, inflation, and even individual finances. In this blog, we will explore how the fluctuations in the US dollar affect India in simple terms.
India trades extensively with other countries, and most international transactions, especially for oil and other critical imports, are done in US dollars. Here's how the dollar's value affects trade:
The US dollar has a direct impact on foreign investments, especially Foreign Direct Investment (FDI) and Foreign Institutional Investment (FII):
The value of the US dollar can also directly impact inflation in India:
India, like many countries, borrows from foreign lenders, and much of this debt is in US dollars:
India maintains a reserve of foreign currencies, including the US dollar, to manage currency stability and meet international obligations. The strength of the dollar affects these reserves:
Changes in the dollar’s value can also impact Indian travelers and students:
India is one of the largest recipients of remittances (money sent back home by Indians working abroad). The value of the dollar affects the value of these remittances:
The US dollar’s fluctuations have a wide-reaching impact on various aspects of the Indian economy, from trade and investment to inflation and personal finances. A strong dollar can lead to higher costs for imports and debt repayment, while benefiting exports and remittances. On the flip side, a weaker dollar can reduce inflationary pressures and encourage foreign investment. Understanding these dynamics is key to grasping how India’s economy is interconnected with global financial markets, particularly through the US dollar.
By keeping an eye on the dollar's movements, businesses, investors, and even individuals can better navigate the changing economic landscape and make smart decisions.
सोने की कीमतें पिछले सप्ताह एक महीने के निचले स्तर के करीब रहीं, क्योकि पिछले महीने के अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़े अपेक्षा से कम रहे, जबकि अमेरिकी डॉलर और बांड यील्ड मजबूत होने के कारण कीमती धातुओं में साप्ताहिक मंदी रही। हालांकि, आंकड़ों के अनुसार अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) वार्षिक आधार पर 3.2 प्रतिशत चढ़ गया, लेकिन यह अनुमान 3.3 प्रतिशत से कम रहा, जबकि यह पिछले महीने 3 प्रतिशत था, जिसके बाद यह उम्मीद बढ़ गई है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक 2023 में ब्याज दरें आगे भी बढ़ाएगा। ब्याज दर बढ़ने से कीमती धातुओं पर असर पड़ता है क्योंकि इससे बांड यील्ड बढ़ती है और गैर-उपज वाले बुलियन को रखने की अवसर लागत भी बढ़ जाती है। पिछले सप्ताह सोने और चांदी की कीमतों में ऊपरी स्तरों से दबाव बना रहा, हालांकि एमसीएक्स में ऑक्टूबर वायदा सोना 0.33 प्रतिशत साप्ताहिक गिरावट के बाद 58930 रुपये प्रति दस ग्राम और सितम्बर वायदा चांदी 3 प्रतिशत टूटने के बाद 70000 रुपये प्रति किलो पर कारोबार करती रही। बेंचमार्क अमेरिकी ट्रेज़री यील्ड बढ़ कर 4.1 प्रतिशत हो गई जबकि यू.एस. डॉलर इंडेक्स में 0.5 प्रतिशत की साप्ताहिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। घरेलु बाजार में त्यौहार और शादी सीजन नहीं होने से कीमती धातुओं की मांग सुस्त है। वर्ल्ड गोल्ड कॉउन्सिल के मुताबिक जून की तिमाही में सोने के ऊंचे भाव रहने के कारण भारत में इसकी डिमांड में 7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इंदौर सराफा बाज़ार में सोने का हाज़िर भाव 59560 रुपये प्रति दस ग्राम रहा। औद्योगिक धातुओं के प्रमुख आयातक चीन की ओर से कमजोर आर्थिक आकड़ो से स्पष्ट होता है की वैश्विक अर्थव्यवस्था में डिमांड सुस्त है। पिछले सप्ताह चीन के मुद्रास्फीति के आंकड़े -0.3 प्रतिशत के नकारात्मक स्तरों पर पहुंच गए है। जुलाई में चीन के आयात और निर्यात के आंकड़े अनुमान से अधिक सिकुड़ गए है। जिससे वहा प्रॉपर्टी बाज़ार की चिंताए बढ़ गई है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के सिकुड़ने के कारण सोने में गिरावट सीमित बना हुई है। इस सप्ताह एफओएमसी मीटिंग के मिनट्स कीमती धातुओं के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।
इस सप्ताह कीमती धातुओं के भाव दबाव में रहने की सम्भावना है। एमसीएक्स अक्टूबर वायदा सोने में सपोर्ट 58000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 60000 रुपये पर है। सितम्बर वायदा चांदी में सपोर्ट 68500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 74000 रुपये पर है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण कीमती धातुओं में दबाव बना हुआ है, लेकिन ग्लोबल अर्थव्यवस्था की सुस्त चाल इनको निचले स्तरों पर सपोर्ट भी कर रही है। फेड और ईसीबी के बाद पिछले सप्ताह बैंक ऑफ़ इंग्लैंड ने भी ब्याज दरें 0.25 प्रतिशत बढ़ा दी है। अक्टूबर वायदा सोने की कीमते पिछले दो सप्ताह से सीमित दायरे में कारोबार कर रही है जबकि सितम्बर वायदा चांदी के भाव में पिछले सप्ताह 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। सोने के भाव में 0.35 प्रतिशत की मामूली साप्ताहिक गिरावट के साथ 59600 रुपये प्रति दस के स्तरों पर कारोबार करते रहे जबकि चांदी के भाव टूट कर 72500 रुपये प्रति किलो के स्तरों पर पहुंच गए। अमेरिकी बेंचमार्क ट्रेज़री यील्ड 4 प्रतिशत के ऊपर पहुंच गई जिससे डॉलर, जो सोने के विपरीत दिशा में चलता है, में बढ़त दर्ज की गई। हालांकि, अमेरिका के मासिक और साप्ताहिक रोज़गार बाजार के आंकड़े कमजोर दर्ज किये जिसके कारण से डॉलर पीछे हट गया और कीमती धातुओं के भाव को सपोर्ट मिला। पिछले सप्ताह के रोज़गार बाजार के आकड़ो के अतिरिक्त अमेरिका के सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़े भी कमजोर दर्ज किये गए है, जो फेड को अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव करने के लिए बाधित कर सकते है। रूस और सऊदी अरब द्वारा कच्चे तेल की आपूर्ति को टाइट करना अमेरिकी डॉलर को दबाव में रख सकता है। चीन द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करने के लिए अतिरिक्त राहत पैकेज चांदी की मांग मजबूत करेगा। हालांकि, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच द्वारा अमेरिका की रेटिंग घटाए जाने के कारण गोल्ड ईटीएफ की मांग घटी है जिससे सोने की कीमतों में ऊपरी स्तरों पर दबाव बना हुआ है। इस सप्ताह अमेरिका के मुद्रास्फीति और कंस्यूमर सेंटीमेंट के आंकड़े कीमती धातुओं के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।
इस सप्ताह कीमती धातुओं में तेज़ी रहने की सम्भावना है। एमसीएक्स अक्टूबर वायदा सोने में सपोर्ट 58500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 61000 रुपये पर है। सितम्बर वायदा चांदी में सपोर्ट 70500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 76000 रुपये पर है।
सोने और चांदी में पिछले तीन हफ्तों से चल रही तेज़ी, मुनाफ़ा वसूली के कारण थम गई है। इस सप्ताह प्रमुख केंद्रीय बैंको की बैठक रहने के चलते कीमती धातुओं में मुनाफ़ा वसूली देखने को मिल रही है। फेड की इस सप्ताह वाली बैठक में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि ब्याज दरों में होने का अनुमान है जिससे अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 15 महीने के निचले स्तरों से पलट गया है और कीमती धातुओं में मुनाफ़ा वसूली दिख रही है। हालांकि, यह उम्मीद भी बढ़ती दिखाई दे रही है की फेड इस बैठक में कठोर मौद्रिक नीति के अंत की घोषणा कर सकता जिससे कीमती धातुओं की कीमतों में गिरावट सिमित रह सकती है। पिछले सप्ताह चीन से जारी आर्थिक आकड़ो से स्पष्ट हुआ है की आर्थिक विकास धीमा है और इसको बढ़ाने के लिए चीन द्वारा प्रोत्साहन पैकेज दिया गया है जिससे औद्योगिक धातुओं के साथ चांदी के भाव को सपोर्ट मिला है। बाज़ारो की यह उम्मीद की इस बैठक में बढ़ोतरी फेड की साल के लिए आखिरी बढ़ोतरी होगी,और इस साल दरें 5.5 प्रतिशत पर बनी रहेंगी और 2024 से ब्याज दरों में कटौती का अनुमान भी है। फेड के दर वृद्धि चक्र में कोई भी संभावित ठहराव कीमती धातुओं की कीमतों के लिए अच्छा संकेत है, क्योकि पिछले साल से बांड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण अवसर लागत प्रभावित हुई है। इस सप्ताह अमेरिकी फेड के साथ, यूरोपियन सेंट्रल बैंक और जापान की मॉनेटरी पालिसी कीमती धातुओं के लिए महत्वपूर्ण रहेंगी।
इस सप्ताह कीमती धातुएँ सिमित दायरे में रह सकती है। एमसीएक्स अगस्त वायदा सोने में सपोर्ट 58000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 60400 रुपये पर है। सितम्बर वायदा चांदी में सपोर्ट 73000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 78000 रुपये पर है।
कीमती धातुओं में जून महीने में हुई गिरावट अब थमती नज़र आ रही है और कॉमेक्स वायदा में सोने की कीमते 1900 डॉलर प्रति औंस के स्तरों के ऊपर बनी हुई है। एमसीएक्स सोने में पिछले सप्ताह 0.5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई और कीमते 58500 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तरों पर रही है। चांदी की कीमते भी सप्ताह में 0.4 प्रतिशत बढ़ कर 70300 रुपये प्रति किलो रही। पिछले सप्ताह फेड बैठक के मिनट्स जारी हुए जिसमे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए आगे और भी ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत मिले है, जिससे अमेरिकी बेंचमार्क ट्रेज़री यील्ड में 3.8 प्रतिशत से बढ़कर 4 प्रतिशत हो गई। हालांकि, ट्रेज़री यील्ड बढ़ने के बावजूद डॉलर, जो सोने के विपरीत दिशा में चलता है, पिछले सप्ताह दबाव में रहा क्योकि दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सदस्य सऊदी अरब और रूस ने कच्चे तेल की कीमतें बढ़ाने के प्रयास में सोमवार को तेल आपूर्ति में कटौती बढ़ा दी है। अमेरिका के बेरोज़गारी के दावे और जोल्ट्स जॉब ओपनिंग के आंकड़े अनुमान से कमजोर दर्ज किये गए है वही ग्लोबल शेयर बाज़ारो में नरमी, कीमती धातुओं को आकर्षित बना रहे है। भारत में इस साल की पहली तिमाही में सोने की कीमते तेज़ रहने के कारण हाजिर मांग 17 प्रतिशत कम रही है। जिससे हाजिर में सोने के भाव अभी डिस्काउंट में चल रहे है। इंदौर में दस ग्राम 24 कैरेट सोने के भाव 57800 रुपये और चांदी 75700 रुपये प्रति किलो के स्तरों पर कारोबार कर रहे है। भारत में अनुमान से बेहतर रही मानसून की चाल, कीमती धातुओं की हाजिर मांग को सपोर्ट कर सकती है। अमेरिका के मुद्रास्फीति के आंकड़े कीमती धातुओं को इस सप्ताह नई दिशा देने में सहायक रहेंगे।
इस सप्ताह कीमती धातुओं में तेज़ी रह सकती है। एमसीएक्स अगस्त वायदा सोने में सपोर्ट 57500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 59500 रुपये पर है। सितम्बर वायदा चांदी में सपोर्ट 67000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 71700 रुपये पर है।
उच्च ब्याज दरों के असर से अमेरिका में मुद्रास्फीति घट कर 3 प्रतिशत के स्तरों पर आ गई, जो बाजार में मांग कमजोर रहने के संकेत दे रहे है। मुद्रास्फीति में लगातार कमी, फेड को आगे ब्याज़ दर बढ़ोतरी पर विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है। मौद्रिक निति में ढील देने की उम्मीदों से अमेरिकी डॉलर, जो सोने के विपरीत दिशा में चलता है, 100 के स्तरों के निचे पहुंच गया है जो 15 महीने का निचला स्तर है, और जिससे कीमती धातुओं की चमक बढ़ने लगी है। पिछले सप्ताह के आंकड़ों से पता चला है कि अमेरिका के बेहतर श्रम बाजार के बावजूद, अमेरिकी उपभोक्ता और उत्पादक मुद्रास्फीति जून में उम्मीद से कम बढ़ी। हालांकि निवेशकों ने इस साल के बाद दरों में किसी भी बढ़ोतरी की सम्भावना को कम कर दिया है, फिर भी अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा जुलाई में दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, बाजार मूल्यांकन से संकेत मिलता है कि फेड 2024 में दरें कम करना शुरू कर सकता है। एमसीएक्स में अगस्त वायदा सोने के भाव पिछले सप्ताह 0.76 प्रतिशत बढ़ कर 59250 रुपये दस ग्राम रहे जबकि सितम्बर वायदा चांदी के भाव सप्ताह में 6 प्रतिशत बढ़कर 75800 रुपये प्रति किलो के स्तरों पर पहुंच गए है। अमेरिका में उच्च दरे रहने के दौरान अर्थव्यवस्था का बेहतर प्रदर्शन चांदी की कीमतों को सपोर्ट कर रहा है। इंदौर सराफा बाज़ार में 10 ग्राम सोने के भाव 58700 रुपये रहे जबकि चांदी के भाव 79500 रुपये प्रतिकिलो पर प्रीमियम पर कारोबार करते दिखे।
इस सप्ताह कीमती धातुओं में तेज़ी रह सकती है। एमसीएक्स अगस्त वायदा सोने में सपोर्ट 58300 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 60000 रुपये पर है। सितम्बर वायदा चांदी में सपोर्ट 72500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 77000 रुपये पर है।
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